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उत्तराखंड में उच्च शिक्षा: उत्पत्ति और विकास
उत्तराखंड के लोगों की शुरुआत से ही उच्च शिक्षा के प्रति विशेष रुचि रही है। यह इस बात से प्रमाणित होता है कि राज्य के लोगों ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों से शिक्षा प्राप्त कर राजनीति, नौकरशाही, सेना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, जनसंचार, शोध आदि के क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह राज्य के लोगों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त गरिमामयी पदों और उनके योगदानों से स्पष्ट होता है।
राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में स्वतंत्रता के बाद सामान्य शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृषि शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की स्थापना जैसे महत्वपूर्ण प्रयास किए गए। लेकिन वास्तव में उच्च शिक्षा का प्रचार-प्रसार 1970 के दशक में बड़े पैमाने पर कॉलेजों की स्थापना से शुरू हुआ, विशेष रूप से दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को शिक्षा का अवसर मिल सके और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी उच्च शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित की जा सके।
राज्य के गठन से पहले कॉलेजों में मूलभूत सुविधाओं और संसाधनों की भारी कमी थी, जिसके कारण राज्य की उच्च शिक्षा राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं थी। लेकिन राज्य के गठन के बाद सरकार ने उच्च शिक्षा के विकास और गुणवत्ता सुधार हेतु बजट में निरंतर वृद्धि की और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग भी शुरू किया।
प्रगति के चरण:
प्रारंभिक विकास चरण (1970 से पूर्व):
- डी.ए.वी. कॉलेज, देहरादून की स्थापना – 1946
- रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना – 1949
- डी.एस.बी. कॉलेज, नैनीताल की स्थापना (राज्य का पहला सरकारी कॉलेज) – 1951
- अल्मोड़ा कॉलेज, अल्मोड़ा की स्थापना – 1954
- एम.के.पी. कॉलेज, देहरादून की स्थापना – 1958
- पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर की स्थापना – 1960
- मोतीलाल बाबूराम कॉलेज, हल्द्वानी की स्थापना – 1960
- सरकारी बिड़ला कॉलेज, श्रीनगर गढ़वाल की स्थापना – 1962
- एल.एम.एस. सरकारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़ की स्थापना – 1963
- सरकारी महाविद्यालय, गोपेश्वर की स्थापना – 1966
- सरकारी महाविद्यालय, उत्तरकाशी की स्थापना – 1969
विस्तार और विकास की स्थिति (राज्य गठन से पूर्व):
- 1970 के दशक में 15 कॉलेजों की स्थापना
- 1980 के दशक में 5 कॉलेजों की स्थापना
- 1990 के दशक में 9 सरकारी कॉलेजों की स्थापना
- हल्द्वानी, अल्मोड़ा और काशीपुर के 3 सहायता प्राप्त कॉलेजों के प्रांतीयकरण के बाद 3 और कॉलेज
- कुल मिलाकर 34 कॉलेजों की स्थापना
- 1996 में हल्द्वानी में संयुक्त निदेशक (उच्च शिक्षा) कार्यालय की स्थापना
- कुमाऊँ विश्वविद्यालय, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना
- एफ.आर.आई. (वन अनुसंधान संस्थान), देहरादून की स्थापना
तेजी से विस्तार, विकास और गुणवत्ता आश्वासन की स्थिति (राज्य गठन के बाद):
- 2001 में हल्द्वानी में निदेशालय उच्च शिक्षा की स्थापना (उन्नयन, आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण हेतु)
- 2001 में देहरादून में क्षेत्रीय निदेशालय (उच्च शिक्षा) की स्थापना
- 2018-19 में तीन मॉडल कॉलेज और एक व्यावसायिक कॉलेज की स्थापना
- 2002 में स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ एजुकेशन, मटलबपुर, रुड़की को अनुदान सूची में सम्मिलित किया गया
- 2022 में बागेश्वर और पिथौरागढ़ के सरकारी स्नातकोत्तर महाविद्यालयों को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के परिसरों के रूप में स्थापित किया गया
- 2023 तक लगभग 119 सरकारी कॉलेज और 21 सहायता प्राप्त कॉलेज कार्यरत थे
- 2023 में दो नए कॉलेजों की स्थापना –
- गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, बहादुरपुर जट्ट (हरिद्वार)
- गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, लोसतु बडियार (टिहरी गढ़वाल)
- 2023 में गवर्नमेंट पी.जी. कॉलेज, चंपावत को भी सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा का परिसर बनाया गया
- 2024 तक कुल 118 सरकारी कॉलेज और 21 सहायता प्राप्त कॉलेज कार्यरत रहे