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Background

विकास एवं प्रगति के लिए ज्ञान एवं कौशल के व्यापक जनसंचार के माध्यम से मानव संसाधनों का सशक्तीकरण परम आवश्यक है। शिक्षा, ज्ञान एवं कौशल के द्वारा व्यक्तियों को सक्षम बनाकर उन्हें उत्पादन, रोजगार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए योग्य बनाती है। इस कारण शिक्षा में होने वाला व्यय, विनियोग (Investment) के सदृश समझा जाता है।

सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं नैतिक मुद्दों पर मानवीय संवेदनाओं को जागृत कर मानवता को प्रबोधित कर व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास का अवसर उपलब्ध कराने वाली उच्च शिक्षा, वैश्वीकरण एवं उदारीकरण से ओत-प्रोत वर्तमान तीव्र परिवर्तनशील परिवेश में नवीन अवसरों एवं चुनौतियों (Opportunities and Challenges) के ऐसे दौर से गुजर रही है, जिसमें एक ओर उच्च शिक्षा के प्रति बढ़ती जनचेतनाओं एवं आकांक्षाओं के कारण वर्तमान संरचना पर दबाव बढ़ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा एवं गुणवत्ता के विश्वव्यापी वातावरण में ज्ञान के सृजन के द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक लाभ एवं क्षमताएं अर्जित करने के अवसरों को प्राप्त करना भी आवश्यक हो गया है। विगत पंचवर्षीय योजनाओं में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है किन्तु, साथ ही उच्च शिक्षा की सम्पूर्ण व्यवस्था उच्च शिक्षा की गुणवत्ता (Quality), सुलभता (Accessibility), प्रासंगिकता (Equity), साम्य (Relevance),  सुशासन (Good Governance) , जैसे तत्वों पर ध्यान केन्द्रित करने पर जोर दे रही है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में उत्तराखण्ड को ज्ञान प्रदेश (Knowledge State) के रूप में प्रतिष्ठित करने की संदृष्टि को साकार करने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों की बहुआयामी भूमिका मुख्यतः निम्नांकित क्षेत्रों में प्रमुख हो गयी है:-

  • नवीन ज्ञान का सृजन।
  • दक्षताओं एवं नवीन क्षमताओं का अर्जन।
  • प्रभावशाली अध्यापन, शोध एवं प्रसार गतिविधियों के माध्यम से प्रबुद्ध मानवीय सम्पदा के व्यापक समूह को तैयार करना।
  • नवोन्मेष को प्रोत्साहित करना।
  • शिक्षा के विविध आयामों को स्थापित करते हुए कौशल युक्त, मूल्य परक मानवीय संसाधनों का विकास कर समाज और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान देना।


उत्तराखण्ड में उच्च शिक्षाः उदभव एवं विकास

उच्च शिक्षा के प्रति उत्तराखण्ड के निवासियों का प्रारम्भ से ही रूझान रहा है, जिसकी पुष्टि उत्तराखण्डवासियों द्वारा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति, नौकरशाही, सेना, विज्ञान एवं तकनीकी, जनसंचार, शोध इत्यादि क्षेत्रों में गरिमामय उपस्थिति एवं योगदान में प्रतिबिम्बित होती है। प्रदेश में ही उच्च शिक्षा के महत्वपूर्ण क्षेत्रों-सामान्य शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृृषि शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा इत्यादि में महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की स्थापना स्वातन्त्रयोत्तर काल में हुई, किन्तु उच्च शिक्षा का वास्तविक प्रसार सत्तर के दशक से प्रारम्भ हुआ, जब असेवित एवं दूरदराज के क्षेत्रों में महाविद्यालयों की स्थापना बड़े पैमाने पर हुई ताकि कमजोर आर्थिक स्थिति एवं विषम भौगोलिक परिस्थितियों में उच्च शिक्षा के अवसरों की पहुँच, सामान्य जनता तक सुलभ बनाई जा सके। राज्य गठन से पूर्व महाविद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी थी तथा उच्च शिक्षा की वर्तमान संरचना, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पन्न नवीन चुनौतियों एवं अवसरों के साथ समायोजन करने में असमर्थ थी। राज्य गठन के पश्चात, शासन द्वारा उच्च शिक्षा के प्रसार तथा गुणवत्ता के सुनिश्चयी करण हेतु बजट में निरन्तर वृद्धि की गई तथा उच्च शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीकी तथा नवोन्मेषों का उपयोग प्रारम्भ हुआ।


उत्तराखण्ड में उच्च शिक्षा की प्रगति

प्रदेश में उच्च शिक्षा के विकास एवं प्रगति को निम्नांकित तीन भागों में वर्गीकृृत किया जा सकता हैः-

(क) प्रवर्तन एवं प्रारम्भिक विकास की अवस्था: (1970 से पूर्व)

  • डी0ए0वी0 महाविद्यालय, देहरादून की स्थापना (1946)
  • रूड़की इंजीनियरिंग महाविद्यालय की स्थापना (1949)
  • प्रथम राजकीय महाविद्यालय के रूप में डी0एस0बी0 महाविद्यालय, नैनीताल की स्थापना (1951)
  • अल्मोड़ा कालेज, अल्मोड़ा की स्थापना (1954)
  • एम0के0पी0 कालेज, देहरादून की स्थापना (1958)
  • पं0 गोविन्द बल्लभ पन्त कृृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पन्तनगर की स्थापना (1960)
  • मोतीराम बाबूराम महाविद्यालय हल्द्वानी (1960)
  • राजकीय बिरला महाविद्यालय श्रीनगर, गढ़वाल (1962)
  • एल0एम0एस0 राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिथौरागढ़ (1963)
  • राजकीय महाविद्यालय, गोपेश्वर, चमोली (1966)
  • राजकीय महाविद्यालय, उत्तरकाशी (1969) 

(ख) प्रसार एवं समृृद्धि की अवस्था: (राज्य गठन से पूर्व)

  • सत्तर के दशक में 15, अस्सी के दशक में 05 तथा नब्बे के दशक में 09 राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना, तथा 03 अशासकीय महाविद्यालयों -हल्द्वानी, अल्मोड़ा एवं काशीपुर के प्रान्तीयकरण से राजकीय महाविद्यालयों की संख्या 34 हुई।
  • संयुक्त निदेशक (उच्च शिक्षा), उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश) के कार्यालय की हल्द्वानी में स्थापना (1996)
  • कुमायूॅ विश्वविद्यालय, हे0नं0ब0 गढ़वाल विश्वविद्यालय, गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय
  • एफ0आर0आई0, देहरादून की स्थापना।

(ग) तीव्र प्रसार, सम्वृद्धि तथा गुणवत्ता सुनिश्चयीकरण के प्रतिचेतना की अवस्था: (राज्य गठन के पश्चात)

  • उच्च शिक्षा के संवर्द्धन, आधुनिकीकरण, विकास एवं सुदृृढ़ीकरण हेतु उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तराखण्ड की हल्द्वानी में स्थापना (2001)।
  • शासन स्तर पर समन्वयकारी भूमिका के निर्वहन एवं अशासकीय महाविद्यालयों पर प्रभावी नियंत्रण हेतु देहरादून में उच्च शिक्षा निदेशक (शिविर कार्यालय) की स्थापना (2001)। वर्ष 2015 में उक्त शिविर कार्यालय को समाप्त करते हुए उच्च शिक्षा निदेशालय में समायोजित कर दिया गया।
  • स्ववित्त पोषित महाविद्यालय देवप्रयाग का प्रान्तीयकरण वर्ष 2001 में तथा चन्द्रावती तिवारी कन्या महाविद्यालय, काशीपुर को अनुदान सूची में वर्ष 2003 में सम्मिलित किया गया।
  • वर्ष 2001-02 में 14, 2002-03 में 1, 2003-04 में 01, 2004-05 में 02 तथा 2005-06 में 02 राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना।
  • वर्ष 2006-07 में 10, वर्ष 2008-09 में 02, वर्ष 2009-10 में 02, वर्ष 2010-11 में 01, वर्ष 2013-14 में 10, वर्ष 2014-15 में 10, वर्ष 2015-16 में 4, वर्ष 2016-17 में 5, 2017-18 में 1, वर्ष 2018-19 में 01, वर्ष 2019-20 में 01, वर्ष 2020-21 में 01 तथा वर्ष 2021-22 में 14 नये राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना की गई।
  • वर्ष 2009 में बाल गंगा महाविद्यालय सेन्दुर केमर (टिहरी गढ़वाल) को अनुदान सूची में सम्मिलित किया गया।
  • वर्ष 2015 में राठ महाविद्यालय, पैठाणी (पौड़ी गढ़वाल) को अनुदान सूची में सम्मिलित किया गया।
  • वर्ष 2016 में स्ववित्त पोषित महाविद्यालय, हल्दूचैड़ (नैनीताल) का प्रान्तीयकरण किया गया।
  • वर्ष 2017 में चमनलाल महाविद्यालय, लंढ़ौरा (हरिद्वार) को अनुदान सूची में सम्मिलित किया गया।
  • वर्ष 2019 में हर्ष विद्या मंदिर, रायसी को अनुदान सूची में सम्मिलित किया गया।
  • वर्ष 2020 में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा की पृथक से स्थापना की गयी।
  • वर्ष 2017 में क्षेत्रीय कार्यालय, उच्च शिक्षा, देहरादून में स्थापित तथा वर्ष 2021 में क्षेत्रीय कार्यालय हेतु भूमि एवं भवन निर्माण की प्रशासनिक/सैद्वन्तिक स्वीकृति प्रदान की गयी।
  • वर्ष 2021 में उच्च शिक्षा निदेशालय परिसर के अन्तर्गत निदेशक, उच्च शिक्षा के आवासीय भवन का कार्य निर्माणाधीन है।
  • वर्ष 2021 में धनौरी पी0जी0 काॅलेज, धनौरी एवं हरिओम सरस्वती पी0जी0 काॅलेज धनौरी, हरिद्वार को अनुदान सूची में सम्मिलित किया गया।
  • वर्ष 2022 में स्वामी विवेकानन्द काॅलेज ऑफ एजुकेशन, मतलबपुर, रूड़की को अनुदान सूची में सम्मिलित किया गया।